मज़हरे नूरे ख़ुदा है सैय्यदा का लाड़ला...
क़ुव्वते ए शेरे ख़ुदा है सैय्यदा का लाड़ला...
बा ख़ुदा सबसे जुदा है सैय्यदा का लाड़ला...
पैकरे सब्रो रज़ा है सैय्यदा का लाड़ला...
सब सहाबा बोल उठ्ठे उनके तन को देख कर...
हमशबिहे मुस्तफ़ा है सैय्यदा का लाड़ला...
दी बशारत आक़ा ने और उम्मे सलमा से कहा...
जाँ निसारे करबला है सैय्यदा का लाड़ला...
कर्बला की रेत पर थी हज़रते हुर की सदा...
आसियों का आसरा है सैय्यदा का लाड़ला...
सर दिया, घर भी दिया है और रहे साबित क़दम...
अल्लाह अल्लाह बावफ़ा है सैय्यदा का लाड़ला...
*आफ़ताबे क़ादरी* कहता रहे बस ये सदा...
बागे जन्नत का पता है सैय्यदा का लाड़ला...
*✍🏻 :- Aaftab Aalam Qadri Razvi*
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